Multilingual Previews, Reviews, Interviews & Point of Views...of/for/with/about various products, movies, books, people, things & events...

Wednesday, January 14, 2015

जानबूझ जानकार - मोहित शर्मा (ज़हन)


अनजाने में कुछ गलत बोल निकल जाते है कभी ना कभी हम सब से, पर वो फेक नहीं होता। पर कुछ लोग जान पहचान की आड़ में आदतन अक्सर दूसरो से बातों में ऑफेन्सिव, गलत बोलते है, मज़ाक उड़ाते है, मज़े या तफ़रीह लेते रहते है, अपनी गलती नहीं मानते और अपनी बात हमेशा ऊपर रखते है। मतलब वो दोस्त या जानने वाले भी बने रहेंगे और गलत भी कहते रहेंगे। अब हास्यास्पद बात तब होती है जब आप कभी कबार ऐसे लोगो से उनके अंदाज़ में मज़ाक करें, गलत बोलें या उनके स्टाइल में डिस्कशन करें। ऐसा होने पर ये लोग बिफर जाते है, अपसेट हो जाते है की उनके साथ आप ऐसा रुखा व्यवहार कैसे कर सकते है? (नोट कीजिये सिर्फ कभी कभी की बात में उनकी यह प्रतिक्रिया, जबकि उनका ऐसा बिहेवियर आम रहता है)
उनमे से कुछ को इस ट्रीटमेंट की बिलकुल आदत तक नहीं होती वो गुस्से में पूछते है "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुयी मुझसे ऐसा बर्ताव/बात करने की?" मतलब अपनी बारी में गिनती मत करो और दूसरा करे तो उसमे दशमलव अंको पर भी दहाड़ें मार कर रोओ। मैं काफी धैर्य से इस तरह के जानने वालो, दोस्तों को समझाता हूँ, पर एक लिमिट के बाद इनसे दूर हो जाता हूँ। रील लाइफ और ऑनलाइन ऐसे कुछ लोगो से पाला पड़ा है, उम्मीद है आगे कभी नहीं पड़े। रिलेशनशिप में भी कुछ पार्टनर्स अपने साथी से कई रोज़मर्रा की छोटी-बड़ी बातों में रूखे रहेंगे पर अगर उनका साथी वैसा करे तो सहन नहीं करेंगे। अगर पोस्ट की बात से जुड़ा कोई वाक्या (या व्यक्ति) हो तो ज़रूर शेयर करें कमेंट्स में।
Originally Posted on - चलते, चलते

Friday, January 2, 2015

यह यथार्थ है

शिवाले की चोटी से लेके
मस्जिद के ज़ीनो तक बहता
क्या ब्राह्मण, क्या सईद
सबको निर्झर लोहित करता
व्यर्थ हुआ है जो, जीवन पदार्थ है
यह यथार्थ है ||
यक्षप्रश्न की दुविधाओ से भी विकट
जीवनचक्र की सुविधाओं से लुभाता
सतयुग के ब्रह्मपुरूषो को
कलयुग मे असहिष्णु बनाता
ऐसे बिना कर्म के फल को पाकर
हे पार्थ आज तू हुआ कृतार्थ है
यह यथार्थ है ||
रामद्वारा जाना जघन्य अपराध
और द्वारे रहीम जो बांटे प्रसाद है
नीतिशास्त्र को कलुषित करता
कैसा तेरा यह शास्त्रार्थ है ?
यह यथार्थ है ||
धर्मार्थ धर्मान्ध किया समस्त जग
ऐसे पैगम्बरों के समक्ष खुद खुदा असार्थ है|
युग और पथिक सब खप हैं गये
ज्ञानचक्षु ना खुले फिर भी
मानवता, स्वयं, परम के हेतु
धर्माग्नि मांगे आज तेरा पुरुषार्थ है |
यह यथार्थ है ||

Thursday, January 1, 2015

METRO 2033 Novel Review (Ajay_D)



Ajay Dhillon - METRO 2033 (NOVEL) Review #421brandbeedifed#freelancetalents #Ajay_D

"This is one of the best story I've ever read in any format (comics/movies/books). Potent psychological horror, suspense and adventure mixed together to form an intoxicating blend. There is no filler in this book; each chapter gives you something new and exciting to read about. The suspense is through the roof and you want to know what happens with each passing sentence....something so rare in 500 page novels. Amazing story that takes place in a new and unique setting.


Might be little expensive for some, but the price of admission is worth it - trust me.
Synopsis: In late 2013, a nuclear war occurred. Russia was targeted with atomic bombs, causing severe radiation across Moscow. This forced the few 1000 survivors to live underground in the metro stations away from the deadly effects of radiation. Moscow has one of the largest Metro systems in the world and it becomes mankind's last refuge in this story. In addition to extreme radiation, many animals were heavily mutated into aggressive beasts, which make travel on the surface dangerous. People have formed communities in many of the stations, but there are lots of stations which remain unexplored and littered with dangers like radiation, paranormal activity, cannibals, and mutants. 


The story is about a young man in the year 2033, who has to travel in the tunnels of Metro, go from station to station, to reach the military establishment inside the Metro in hopes of eliminating a new and unknown threat (some call them the dark ones - a mutated version of man with paranormal powers) that has terrorised his home station. Considering the dangers (both humans, ghosts, and mutants), his journey won't be easy. Amazing book, from start to finish. Must read."

421 Brand Beedi Rating - A+ (Above 90%)