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Thursday, June 26, 2014

लघु फिल्म समीक्षायें - मोहित शर्मा ज़हन

*) - फरेब (1996)



अनलॉफुल एंट्री (1992) पर आधारित विक्रम भट द्वारा निर्देशित यह कहानी नयी नहीं थी, इतने कम किरदारों के साथ रोमांच पैदा करने में फिल्म नाकाम रही। कलाकार फ़राज़ खान और सुमन रंगनाथन का फरेब मूवी से फिल्मो में पदार्पण हुआ। यह रिश्तों में दरार दिखाती, पारिवारिक-निजी कलह और त्रिकोण जैसी बातें लिये भट कैंप की ट्रेडमार्क फिल्म है। हालाँकि, अपने समय अनुसार बाद में आई फिल्मो का टोंड डाउन वर्सन है। मिलिंद गुणाजी यहाँ भी अभिनय में अग्रणी है। फिल्म का एक गाना "यह तेरी आँखें झुकी-झुकी, यह तेरा चेहरा खिला-खिला…" उस समय  मशहूर हुआ था। संगीत से दर्शको को सिनेमा में खींचना भी भट कैंप की पुरानी आदत है। इसके अलावा अभिजीत का गाया "यार का मिलना...." मधुर है। फिल्म के बाद संगीत में जतिन-ललित ब्रांड मज़बूत हुआ।

रेटिंग - 4.5/10  

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*) - इस रात की सुबह नहीं (1996)



सुधीर मिश्रा उन निर्देशकों में से है जिन्होंने अपनी अलग राह पकड़ी और भीड़ में पहचान बनायी। यह फिल्म मुंबई अपराध जगत को एक अलग कोण से दिखाती है। जहाँ 2 डॉन आमने सामने है और बीच में फँसा है एक प्रेमी युगल। उस दौर में इस विषय पर बहुत सी फिल्मे बनायीं गयी और  "इस रात की सुबह नहीं" अपने ट्रीटमेंट और रफ़्तार के कारण जानी गयी। पर सुधीर जी एक कमी है की वह कहानी के सिरे खुले छोड़ देते फिर उन्हें आम जनता को समझाने कोशिश नहीं करते, ऐसी ही कुछ आदत मेरे लेखक मित्र श्री करण विर्क की है, जिस वजह से ऐसा बढ़िया काम भी कई लोग समझ नहीं पाते। अभिनय में निर्मल पाण्डेय, आशीष विध्यार्थी, सौरभ शुक्ला, तारा देशपांडे ने सराहनीय काम किया है। दुख है की तारा देशपांडे और निर्मल पाण्डेय को अधिक मौके नहीं मिल पाये। कुछ जगह दृश्यों बेहतर बजट से सुधारा  जा सकता था। फिल्म से "चुप तुम रहो.." आज भी अक्सर रेडियो, टीवी पर सुनने को मिल जाता है। 

रेटिंग - 6.5/10 

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*) - फोर ब्रदर्स (2005)



4 गोद लिये हुए सौतेले भाइयों का साथ आकर अपनी माँ की हत्या का बदला लेना। बेसिक प्लाट काफी घिसा-पिटा लगता है,  पर किरदारों की बनावट और अनेक यादगार दृश्यों के बल पर कभी-कभी फिल्म कहानी मोहताज़ नहीं रहती। कुछ ऐसा ही यहाँ जॉन सिंगलटन की फिल्म के साथ हुआ। फिल्म में रिश्तो गूढ़ता से बने ड्रामा और बदले भावना से बने एक्शन का ज़बरदस्त संगम है। कुछ कोण, दृश्य  संवाद फिल्म की गुणवत्ता बढ़ा देते है। बॉबी यानी मार्क वॉलबर्ग का लुक और अभिनय सबसे बेहतर है। 

रेटिंग - 7/10 

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